
नई दिल्ली। कोरोना वायरस पर चीन के गले में फंदा फंसता जा रहा है। यही कारण है की चीन कोरोना वायरस की संयुक्त जांच के नाम पर भड़क उठता है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और इंलैण्ड की खुफिया एजेंसियों ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नाक के नीचे से कोरोना वायरस के सुबूत निकाल लिए हैं। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैण्ड ने अभी तक खुलासा नहीं किया है कि उनके जासूसों की रिपोर्ट क्या है लेकिन अमेरिका ने डंके की चोट पर ऐलान किया है कि उनके पास इतने पर्याप्त सुबूत हैं जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस चीन की बुहान लैब में पैदा हुआ और वहां से निकला था।
>कुछ दिन पहले ट्रंप ने कहा था कि चीन को कोरोना वायरस की जानकारियां छुपाने के लिए हर्जाना भरना पड़ेगा। तो चीन ने इसका प्रतिवाद किया था कि बिना किसी सुबूत के इस तरह के आरोप लगाना ठीक नहीं है। बल्कि चीन ने यह कहा कि ज्वाइंट ड्रिल के दौरान अमेरिकी सेना अपने साथ कोरोना वायरस लायी थी। बहरहाल, एक न्यूज चैनल के टाक शो ‘दिस वीक’ में अमेरिक के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि उनके पास ढेर सारे सुबूत है जो साबित करते हैं कि कोरोना चीन के वुहान की लैब में ही विकसित हुआ है।
पॉम्पियो ने कहा कि टॉक शो में कहा कि इस बात से अमेरिका की इंटेलिजेंस एजेंसियां इत्तेफाक रखती हैं कि वायरस जेनेटिकली मॉडिफाइड या इंसानों नहीं बनाया है लेकिन इस बात के बड़े और काफी सबूत हैं कि वायरस वुहान की लैब से ही निकला। उन्होंने कहा कि दुनिया में इन्फेक्शन फैलाने और कम स्टैंडर्ड की लैब चलाने का चीन का पुराना इतिहास है।
उन्होंने कहा कि चीन ने कोरोना वायरस की विभीषिका पर पर्दा डालने की कोशिश की। यह कम्यूनिस्टों की गलत जानकारी फैलाने की कोशिश का उदाहरण था जिससे बड़ा खतरा पैदा हो गया और लाखों लोग अकाल काल के मुंह में चले गये और न जाने कितने अभी निर्दोषों की जान जाने वाली है
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