
वुहान वायरस के कारण अफ्रीका में ऐसी चीन विरोधी लहर उमड़ पड़ी है, जो आज से पहले शायद ही कभी रही हो। भरपूर फायदा उठाने में भारत लगा हुआ है। चीन के मुकाबले भारत वास्तव में अफ्रीका को हीलिंग टच देने में लगा हुए है। इसी का एक प्रत्यक्ष प्रमाण है केन्या, कहां भारत के क़दमों के कारण कई लोगों की जानें बच रही है।
WION न्यूज को दिए साक्षात्कार में केन्या के भारतीय राजदूत राहुल छाबड़ा बताते हैं कि लगभग छः माह पहले भारत के एक्सपोर्ट इंपोर्ट बैंक ने केन्या में एक टेक्सटाइल फैक्ट्री के नवीनीकरण को स्वीकृति दी थी। अब यही फैक्ट्री हज़ारों की तादाद में फेस मास्क का निर्माण कर रही है और ये पूरे अफ्रीकी महाद्वीप के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं।
परन्तु बात यहीं पर नहीं रुकती। जब केन्या के सचिव ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से HCQ दवाई पर एक्सपोर्ट बैन हटाने का अनुरोध किया, तो भारत ने इस याचिका को स्वीकार करने में तनिक भी विलंब नहीं किया। अब केन्या भारत से कुल 3 लाख 79 हज़ार HCQ टैबलेट खरीद रहा है।
पर ये सब यूं ही एक रात में नहीं हुआ है। अफ्रीका में पहले BRI और फिर कोरोना के कारण पहले ही चीन विरोधी मानसिकता पनप रही थी, वहीं चीन में लगातार हो रहे अफ्रीकी लोगों पर हमलों ने इस मानसिकता को और ज़्यादा बढ़ा दिया, जिसके परिणामस्वरूप अफ्रीका ने अब चीन को आड़े हाथों लेने की ठान ली है।
हाल ही की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अफ्रीकी देश Tanzania (तंजानिया) के राष्ट्रपति ने पिछली सरकारों के समय चीन के साथ फाइनल किए गए 10 बिलियन डॉलर्स के एक प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया। साथ ही तंजानिया के राष्ट्रपति ने कहा कि इस प्रोजेक्ट की शर्तें इतनी बकवास थीं कि कोई पागल व्यक्ति ही इन शर्तों को मान सकता था। इससे अफ्रीका में चीन के BRI प्रोजेक्ट को गहरा धक्का पहुँच सकता है।
इसके अलावा अफ्रीकी देशों जैसे गिनी और केन्या से भी चीन के कड़े विरोध होने की खबरें सामने आ चुकी हैं। गिनी ने हाल ही में अपने यहां मौजूद कई चीनी नागरिकों को बंदी बना लिया था, क्योंकि चीन से लगातार अफ्रीकी लोगों के पीटे जाने की खबरें सोशल मीडिया पर आ रही थीं। ऐसे ही केन्या के एक सांसद ने सोशल मीडिया पर अपने यहाँ चीनी लोगों को पत्थर मारकर दूर भगाने के लिए कहा था, क्योंकि उनके मुताबिक चीनी लोग केन्या में कोरोना वायरस फैला रहे हैं। चीन के इस भारी विरोध के बीच भारत का एकदम अफ्रीका के साथ बातचीत को बढ़ाना चीन की रातों की नींद उड़ा सकता है।
भारत पहले ही दुनियाभर में मेडिकल एक्स्पोर्ट्स से अपनी सॉफ्ट पावर को बढ़ा चुका है, और दुनिया भारत को चीन के मुक़ाबले एक बेहतर पार्टनर मानता है। दक्षिण एशिया में तो भारत पहले ही कई देशों की मदद कर रहा है, अब भारत अफ्रीका में अपना दबदबा बढ़ाने के मिशन पर जुट चुका है।
इतना ही नहीं, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के अन्तर्गत केन्या के स्थानीय चिकित्सकों को इस महामारी से निपटने के लिए उचित प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। क्या इसमें से ऐसा कुछ भी है, जो चीन ने अफ्रीका को निस्वार्थ भाव से प्रदान किया हो?
केन्या में मंदिर और गुरद्वारों ने भी इस समय समाज की भलाई हेतु अपना सर्वस्व अर्पण करने का निर्णय लिया है। नैरोबी में स्थित एक गुरुद्वारा प्रतिदिन 400 लोगों को भरपेट भोजन प्रदान करा रहा है। वहीं दूसरी ओर हिन्दू समुदाय 20000 लीटर disinfectant और hand sanitizers के साथ 4000 परिवारों का पेट भी भर रहा है।
भारत के लिए केन्या वाली गौरव गाथा किसी सुनहरे अवसर से कम नहीं है, क्योंकि इससे यह स्पष्ट संदेश जायेगा कि भारत के रूप में अफ्रीका को सदैव एक भरोसेमंद मित्र मिला। अब देखना यह होगा कि भारत इस अवसर का कैसे लाभ उठाता है!
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