
तीन जवानों के चेहरे को इस तरह से क्षत-विक्षत कर दिया गया था कि वे पहचान में भी नहीं आ रहे हैं जबकि, तीन अन्य जवानों की गर्दन रेतने के निशान थे. चीनी सैनिकों ने नुकीले व लोहे के कांटे लगे रॉड से भारतीय सैनिकों पर हमला किया था.
घायल सैनिकों का सैन्य अस्पताल में उपचार चल रहा है.कर्नल संतोष वरिष्ठ ऑफिसर के मुताबिक, अस्पताल में जवानों के शवों की फोटोज़ नहीं लेने का आदेश दिया गया था.
रिपोर्ट में सामने आया कि कर्नल संतोष बाबू समेत तीन जवानों के शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं थे, लेकिन उनके सिर पर किसी हथियार से हमला किया गया था.
कुछ जवानों के शरीर पर नाखून चुभोने जैसे निशान भी मिले हैं. चाइना के सैनिकों के पास चाकू भी थे. कुछ जवान 14,000 फीट की ऊंचाई से नदी में गिर गए थे. इतनी ऊंचाई पर गलवां घाटी की जमा देने वाली ठंड व दुर्गम क्षेत्र में मदद न मिलने के चलते भी सैनिकों की जान गई.
भारतीय जवानों के साथ चाइना की बर्बरता का खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक, जवानों के शरीर पर गहरे घाव थे. 12 घायल जवानों की मृत्यु हाइपोथर्मिया यानी शरीर का तापमान बेहद कम हो जाने व दम घुटने से हुई.
लेह के एसएनएम अस्पताल में जवानों के शवों का पोस्टमॉर्टम हुआ था. अधिकारियों ने बताया कि 17 जवानों के शरीर पर चोट के गहरे निशान हैं. शायद तीन जवानों की मृत्यु डूबने से हुई है. वहीं, बाकी जवानों पर किसी नुकीले हथियारों से वार किया गया था, जिससे उनके शरीर पर चोट के गहरे निशान थे.